Wednesday, January 19, 2011

बारह ज्योतिर्लिंगों के दिव्य दर्शन



Rep-RAMKISHOR PAWAR/ BETUL
Slug-Mp-BETUL12 shiv-ling
d12 shiv-ling
बारह ज्योतिर्लिंगों के दिव्य दर्शन
Anchor-यु तो देश में अलग-अलग स्थानों पर बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना है लेकिन भारत में बैतूल जिले का ताप्ती तट एक मात्र स्थान है जहा पर एक साथ बारह ज्योतिर्लिंगोंकी स्थापना है ये सभी बारह ज्योतिर्लिंगों भगवन श्रीराम के आग्रह पर विश्वकर्माजी जी ने बनाये| इनके दर्शन और ताप्ती स्नान के लिए हिन्दुओ के २४ करोड़ देवी देवता हिन्दू पंचाग की कई महत्वपूर्ण तिथियों पर आते है..१४ साल के वनवास के दौरान अपनी पत्नी माता सीता और अनुज लक्ष्मन के साथ जिस रामपथ से वे लंका पहुचे थे उस राम पथ में एक तीर्थ-स्थान है बारहलिंग, जहा पर सूर्य-पुत्री माँ ताप्ती नदी के किनारे उन्होंने अपने पूर्वजो का एवं राजा दशरथ का तर्पण किया था पर भगवान विश्वकर्मा की मदद से अक्रती बनाकर उनकी बारह ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की|
v.o.1-आदिवासी अपने दुःख दर्द में देव महादेव की पूजा करते है भगवन भोलेनाथ को अपना ईष्ट देव मानते है अपने पर पड़ने वाले दुःख दर्द ने निजात पाने के लिए ताप्ती नदी के किनारे सनातन काल में भगवन राम द्वारा स्थापित बारह शिव लिंगो की पूजा कर उन्हें मनाते है और दुःख-दर्द का अंत होने पर भंडारा करवाते है.....
byte-1-मंगल सिंग(अथानीय आदिवासी)
v.o.2-भारत देश के कोने-कोने में भगवन शिव के बारह शिव लिंग है जिनके दर्शन करने से जो पुण्य की प्राप्ति होती है वही पुण्य प्राप्ति ताप्ती नदी किनारे विराजित बारह शिव-लिंगो से होती है और यहाँ पर सच्चे मन से मांगी गयी मुरदे भी पूरी होती है
byte-2-ओमचंद झारिया(श्रद्धालु)
byte-2-1ओमचंद झारिया(श्रद्धालु)
v.o.3-आदिवासी जिला होने के कारण यहाँ के गरीब आदिवासी भारत देश के बारह ज्योतिर्लिगों के दर्शन करने में आर्थिक रूप से असमर्थ होते है और इनका मानना है की जहा मनो वाही भगवान है ये बारह ज्योतिर्लिगों हजारो वर्ष पुराने होने के कारण इनकी मान्यता और भी अधिक है मगर सबसे बड़ी विडम्बना है की ऐसी प्राकृतिक धरोवरो को बचाने के लिए आज तक पुरातत्व विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की गई जिसका मलाल हमेशा लोगो को रहता है लेकिन यहाँ आने वाले भक्तो की संख्या में प्रति-वर्ष इजाफा ही होता आ रहा है.....
byte-3-सुखदेव साहू (श्रद्धालु)
byte-4-अनुराधा मदरे(श्रद्धालु)
v.o.4-सेतु-बंधू रामेश्वरम के पहले भगवान श्रीराम ने अपने आराध्य देव देवाधिपति महादेव के बारह ज्योति स्वरूप शिव-लिंगो की ताप्ती नदी के किनारे पत्थरों की शिलाओ की प्रतिस्थापना की थी यहाँ पर भगवान श्रीराम कार्तिक मास की पूर्णिमा के समय तिन दिनों तक रुके थे इस दौरान उन्होंने,माता सीता और अनुज लक्ष्मन ने कार्तिक मास की पूर्णिमा में माँ ताप्ती नदी के पावन जल में स्नान कर उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनकी पूजा अर्चना की थी इताब से लेकर आजतक यहाँ पर लाखो शिव-भक्त राम-भक्त तिन दिनों की धार्मिक यात्रा(गोंडी-जत्रा)मानते है
Ramkishor pawar

 betul m.p.
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